संघर्ष और हथियारों के आगे न झुकें, पोप लियो

रोम शहर के परिसर में कास्तेल गोन्दोल्फो स्थित प्रेरितिक प्रासाद से शुक्रवार को पोप लियो 14 वें ने सभी का आह्वान किया कि वे संघर्ष और हथियारों के आगे कभी न झुकें।
आशा न खोयें
मरियम के स्वर्गोत्थान महापर्व के उपलक्ष्य में देवदूत प्रार्थना के उपरान्त तीर्थयात्रियों को सम्बोधित कर पोप ने सदियों से लोगों को आशा प्रदान करने में मरियम की भूमिका पर विचार किया तथा उनसे आग्रह किया कि हिंसा के बीच भी वे आशा को कदापि न खोयें।
विश्व में शांति स्थापना हेतु मरियम की मध्यस्थता की याचना कर पोप ने कहा कि मरियम "अपने बच्चों, विशेषकर नन्हें और कमज़ोर बच्चों पर पड़ने वाली बुराइयों के कारण कष्ट सहती हैं।" उन्होंने कहा, मरियम ने संदेशों और दर्शनों के माध्यम से ज़रूरतमंदों के प्रति सदैव अपनी निकटता प्रकट की है।
पियुस 12 वें
सन्त पापा ने अपने पूर्ववर्ती पोप पियुस 12 वें का स्मरण दिलाया जिन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के तुरन्त बाद लिखा थाः “यह आशा का कारण है कि जो लोग मरियम के गौरवशाली उदाहरण पर विचार करते हैं, वे मानव जीवन के मूल्य के प्रति और भी अधिक आश्वस्त होंगे।” अपनी आशा व्यक्त करते हुए उन्होंने लिखाः दुनिया फिर कभी “युद्ध के माध्यम से मानव जीवन का कत्लेआम” नहीं देखे।
हथियारों के आगे न झुकें
पोप लियो ने इस बात पर ज़ोर दिया कि उनके पूर्ववर्ती के शब्द आज भी प्रासंगिक हैं। "यह दुखद तथ्य है कि विश्व में बढ़ती हिंसा के सामने हम खुद को असहाय महसूस करते हैं, ऐसी हिंसा जो मानवता के किसी भी आवेग के प्रति लगातार बहरी और असंवेदनशील होती जा रही है।" तथापि, उन्होंने कहा, "हमें उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए।" इस तथ्य की उन्होंने पुनरावृत्ति की कि ईश्वर, पाप और हमारे द्वारा झेली जाने वाली किसी भी हिंसा से, महान हैं। अस्तु, "हमें संघर्ष और हथियारों के प्रभुत्व के आगे झुकना नहीं चाहिए" क्योंकि मरियम के साथ, हम जानते हैं कि ईश्वर निरंतर हमारी मदद कर रहे हैं।" उन्होंने कहा, "केवल ईश्वर की दया से ही हम शांति का मार्ग पुनः खोज सकते हैं।"