गाज़ा पर हमले की योजना हेतु इस्राएल की निन्दा

गाज़ा में इस्राएल द्वारा प्रस्तावित सैन्य अभियानों के विस्तार की अंतर्राष्ट्रीय नेताओं, सैन्य अधिकारियों और हमास द्वारा अभी भी बंधक बनाए गए लोगों के परिवारों द्वारा तीखी आलोचना की जा रही है।
नेतन्याहू की योजना
10 घंटे की सुरक्षा कैबिनेट बैठक के दौरान मंजूरी दी गई प्रस्तावित योजना में प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू गाज़ा शहर पर पूर्ण नियंत्रण चाहते हैं। हालांकि प्रधान मंत्री के कार्यालय के आधिकारिक बयान में "कब्जे" शब्द का इस्तेमाल नहीं किया गया है तथापि, विश्लेषकों का कहना है कि इस कदम से प्रभावी रूप से संपूर्ण गाज़ा पट्टी इस्राएल के नियंत्रण में आ जाएगी।
सैन्य अभियान के विस्तार की समय-सीमा अभी भी अस्पष्ट है।
चेतावनी
सैन्य अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि इस अभियान में महीनों लग सकते हैं और इसके लिए हजारों सैनिकों की आवश्यकता होगी, जिनमें से कई पहले ही कई दौरों पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं। इस योजना में गाज़ा शहर से निवासियों को निकालना भी शामिल है, जहां अनुमानतः 800,000 फिलिस्तीनी रहते हैं।
तीखी प्रतिक्रिया
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिक्रिया तीव्र रही है। जर्मन चांसलर फ्रेडरिक मेर्स ने इस्राएल को उन हथियारों के निर्यात पर रोक लगाने की घोषणा की जिनका इस्तेमाल गाज़ा में हो सकता था और ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने इस फैसले को "ग़लत" निरूपित किया है। इसी बीच, हॉलैण्ड के विदेश मंत्री कैस्पर वेल्डकैंप ने कहा है कि इस कदम से "बंधकों को घर वापस लाने में मदद नहीं मिलेगी", जबकि चीन के विदेश मंत्रालय ने इस बात की पुनरावृत्ति की कि "गाज़ा फ़िलिस्तीनी लोगों का है" इसलिये तत्काल युद्धविराम किया जाना चाहिये। इसी तरह, डेनमार्क ने भी इस्राएल से अपने फैसले को वापस लेने का आग्रह किया है।
बताया जा रहा है कि प्रस्तावित आक्रमण इस बढ़ती चिंता के बीच किया गया है कि आगे की कार्रवाई से मानवीय संकट गहराएगा और इस्राएल कूटनीतिक रूप से अलग-थलग पड़ जाएगा।