पोप : सच्चे मानव विकास के लिए ईश्वर और पड़ोसी के प्रति प्रेम चुनें

पोप लियो 14वें ने शनिवार को काथलिक विधायकों से मुलाकात की और उनसे आग्रह किया कि वे एक ऐसी दुनिया बनायें जो न्याय, विवेक एवं ईश्वर के प्रति श्रद्धा की नींव पर स्थापित हो।
पोप लियो 14वें ने शनिवार को आशा की जयंती के दौरान रोम में एकत्रित अंतर्राष्ट्रीय काथलिक विधायक नेटवर्क की सोलहवीं वार्षिक बैठक में भाग लेनेवालों को संबोधित किया।
दुनिया भर से आए सांसदों और राजनीतिक नेताओं का स्वागत करते हुए, पोप ने उनकी उपस्थिति के लिए उनका धन्यवाद किया और बैठक के चुने हुए विषय: "नई विश्व व्यवस्था: प्रमुख शक्ति राजनीति, कॉर्पोरेट प्रभुत्व और मानव समृद्धि का भविष्य" पर विचार व्यक्त किए।
उन्होंने कहा, “इन शब्दों में, मुझे चिंता और लालसा दोनों का एहसास होता है। हम इस बात को लेकर चिंतित हैं कि हमारी दुनिया किस दिशा में जा रही है, और फिर भी, हम सच्चे मानवीय उत्कर्ष की कामना करते हैं, एक ऐसी दुनिया की जहाँ हर व्यक्ति ईश्वर की योजना के अनुसार शांति, स्वतंत्रता और पूर्णता में रह सके।"
दो शहर
हिप्पो के संत अगुस्टीन के ज्ञान का हवाला देते हुए, पोप ने याद किया कि कैसे कलीसिया के महान धर्माचार्य ने, रोमन साम्राज्य के उत्तरार्ध की उथल-पुथल के बीच लिखते हुए, इतिहास की कल्पना दो "शहरों" के विकास के रूप में की थी।
"इस धर्माचार्य ने सिखाया कि मानव इतिहास में, दो 'शहर' आपस में जुड़े हुए हैं: मानव का शहर और ईश्वर का शहर। ये आध्यात्मिक वास्तविकताओं का प्रतीक हैं - मानव हृदय और मानव सभ्यता के दो रुझान। मानव का शहर, जो गर्व और आत्म-प्रेम पर आधारित है, शक्ति, प्रतिष्ठा और सुख की खोज से चिह्नित है; ईश्वर का शहर, जो निस्वार्थ भाव के साथ ईश्वर के प्रेम पर आधारित है, उसकी विशेषता है न्याय, उदारता और विनम्रता।"
सच्ची मानव समृद्धि
पोप लियो ने इस बात पर ज़ोर दिया कि आज की दुनिया में एक समृद्ध जीवन की परिकल्पना अक्सर विकृत होती है। "आज, एक समृद्ध जीवन को अक्सर भौतिक रूप से समृद्ध जीवन या अप्रतिबंधित व्यक्तिगत स्वायत्तता के जीवन के साथ भ्रमित किया जाता है। हमारे सामने प्रस्तुत तथाकथित आदर्श भविष्य अक्सर तकनीकी सुविधा और उपभोक्ता संतुष्टि का होता है। फिर भी हम जानते हैं कि यह पर्याप्त नहीं है। हम इसे समृद्ध समाजों में देखते हैं जहाँ बहुत से लोग अकेलेपन, निराशा और अर्थहीनता की भावना से जूझ रहे हैं।"
उन्होंने आगे कहा, "वास्तविक मानव उत्कर्ष, कलीसिया द्वारा समग्र मानव विकास, या व्यक्ति के सभी आयामों: शारीरिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, नैतिक और आध्यात्मिक आयामों, में पूर्ण विकास, से उत्पन्न होता है। मानव व्यक्ति के लिए यह परिकल्पना प्राकृतिक नियमों, उस नैतिक व्यवस्था में निहित है जिसे ईश्वर ने मानव हृदय पर अंकित किया है, जिसके गहन सत्य येसु ख्रीस्त के सुसमाचार द्वारा प्रकाशित होते हैं।"
“यह ईश्वर की उपासना हेतु सच्चाई की खोज की स्वतंत्रता और शांति में परिवार को आगे बढ़ाना सुनिश्चित करता है। इसमें सृष्टि के साथ सामांजस्य और समाज के सभी स्तर के लोगों एवं राष्ट्रों के साथ एकात्मता की भावना शामिल है। निश्चय ही ख्रीस्त आये ताकि हम जीवन पा सकें और इसे प्रचुर मात्रा में प्राप्त कर सकें।
आशा की राजनीति
पोप ने ज़ोर देकर कहा कि मानव समृद्धि का भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि हम अपने समाज को किस 'प्रेम' से संगठित करना चुनते हैं - "स्वयं के प्रति प्रेम या ईश्वर और पड़ोसी के प्रति प्रेम।" उन्होंने तर्क दिया कि हम सभी इसका उत्तर पहले से ही जानते हैं। सांसदों को अपने काम को एक बुलाहट के रूप में देखने की चुनौती देते हुए, पोप लियो ने उन्हें दो नगरों के बीच सेतु-निर्माता बनने के उनके आह्वान की याद दिलाई: एक मनुष्य का और दूसरा ईश्वर का। "मैं आपसे एक ऐसे विश्व के लिए काम करने का आग्रह करता हूँ जहाँ सत्ता विवेक द्वारा नियंत्रित हो, और कानून मानवीय गरिमा की सेवा में हो। मैं आपको उस खतरनाक और आत्म-पराजित मानसिकता को अस्वीकार करने के लिए भी प्रोत्साहित करता हूँ जो कहती है कि कुछ भी कभी नहीं बदल सकता।"
हालाँकि, पोप ने माना कि यह बुलावा कठिन होगा और उन्हें चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। लेकिन ईश्वर की कृपा उन्हें इनसे उबरने में मदद करेगी। उन्होंने कहा, "मेरे आदरणीय पूर्वाधिकारियों ने 'आशा की कूटनीति' की आवश्यकता पर ध्यान दिलाया था... मैं इसमें यह जोड़ना चाहूँगा कि हमें 'आशा की राजनीति' और 'आशा का अर्थशास्त्र' भी चाहिए, जो इस विश्वास पर आधारित हो कि अब भी, येसु ख्रीस्त की कृपा से, हम इस पृथ्वी के नगर में उनके प्रकाश को प्रतिबिंबित कर सकते हैं।"
आशीर्वाद एवं प्रोत्साहन
अंत में, संत पापा ने विधायकों को सार्वजनिक जीवन में समाचार को लाने के उनके प्रयासों के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “आपके लिए, आपके प्रियजन एवं आप जिनकी सेवा करते हैं उनके लिए मेरी प्रार्थनाओं का आश्वासन देता हूँ। प्रभु येसु ख्रीस्त, शांति के राजकुमार, मानव परिवार की सच्ची समृद्धि हेतु आपके प्रयास को आशीष दे और आपका मार्गदर्शन करे।”