देवदूत प्रार्थना में पोप : सच्चा धर्म शब्दों और कार्यों दोनों में

देवदूत प्रार्थना का पाठ करने से पहले पोप लियो 14वें ने सुसमाचार पाठ पर चिंतन किया तथा बतलाया कि हम शब्दों एवं कार्यों के माध्यम से सच्चे विश्वास को जीते हुए संकरे द्वार से प्रवेश कर सकते हैं।
वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 24 अगस्त को पोप लियो 14वें ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया, देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, शुभ रविवार।
आज के सुसमाचार पाठ (लूक. 13,22-30) के केंद्र में हम “संकरे रास्ते” की छवि को पाते हैं। येसु ने इसका प्रयोग उस व्यक्ति को उत्तर देने के लिए किया था जिसने उनसे पूछा था कि क्या थोड़े ही लोग मुक्ति पाते हैं; इसपर येसु कहते हैं: "सँकरे द्वार से प्रवेश करने का पूरा -पूरा प्रयत्न करो; क्योंकि मैं तुम से कहता हूँ, - प्रयत्न करने पर भी बहुत से लोग प्रवेश नहीं कर पायेंगे।" (पद 24)
अति आत्मविश्वासी न बनें
पोप ने कहा, “पहली नजर में, यह छवि कुछ प्रश्न उठाती है: यदि ईश्वर प्रेम और दया के पिता हैं, जो हमेशा हमारा स्वागत करने के लिए खुली बाहों के साथ इंतजार करते हैं, तो येसु ने ऐसा क्यों कहा कि उद्धार का द्वार संकीर्ण है?”
निस्संदेह, प्रभु हमें हतोत्साहित नहीं करना चाहते। बल्कि, उनका वचन उन लोगों के अहंकार को झकझोर देता है जो सोचते हैं कि वे पहले ही मुक्ति पा चुके हैं, जो धर्म का पालन करते हैं और इसलिए, पहले से ही सब कुछ ठीक महसूस करते हैं। लेकिन वास्तव में, वे यह नहीं समझ पाए हैं कि धार्मिक कार्य करना ही पर्याप्त नहीं है यदि वे हृदय परिवर्तन नहीं करते। प्रभु जीवन से अलग धार्मिक कृत्य नहीं चाहते, और उन बलिदानों और प्रार्थनाओं की सराहना नहीं करते जो हमें अपने भाइयों के प्रति प्रेम में जीने और न्याय करने के लिए प्रेरित नहीं करते। इसीलिए, जब वे प्रभु के सामने यह दावा करते हुए उपस्थित होंगे कि उन्होंने उनके साथ खाया-पिया है और उनकी शिक्षाएँ सुनी हैं, तो वे उन्हें यह उत्तर देते हुए सुनेंगे: "मैं नहीं जानता तुम कहाँ के हो। हे सब कुकर्म करनेवालो, मेरे पास से चले जाओ!" (पद 27)
विश्वासियों को चुनौती
पोप ने कहा, भाइयो और बहनो, आज का सुसमाचार पाठ हमें एक सुन्दर चुनौती देता है: जहाँ हम कभी-कभी उन लोगों का न्याय करते हैं जो विश्वास से दूर हैं, वहीं येसु "विश्वासियों की सुरक्षा" को चुनौती देते हैं। वास्तव में, वे हमें बताते हैं कि केवल शब्दों से अपना विश्वास प्रकट करना, उनके साथ पवित्र यूखारिस्त में भाग लेते हुए खाना-पीना, या ख्रीस्तीय शिक्षाओं में पारंगत होना ही पर्याप्त नहीं है। हमारा विश्वास तभी सच्चा होता है जब वह हमारे पूरे जीवन को अपने में समाहित कर लेता है, जब वह हमारे चुनावों का मानदंड बन जाता है, जब वह हमें ऐसे स्त्री और पुरुष बनाता है जो भलाई के लिए समर्पित होते हैं और प्रेम में जोखिम उठाते हैं, जैसा कि येसु ने किया। उन्होंने सफलता या शक्ति का आसान रास्ता नहीं चुना, बल्कि हमें बचाने के लिए, क्रूस बलिदान के "संकरे द्वार" से गुजरने तक प्रेम किया। वे हमारे विश्वास का मापदंड हैं; वे एक ऐसे द्वार हैं जिससे हमें मुक्ति पाने के लिए गुजरना होगा (योहन 10:9), उनके प्रेम को जीते हुए और अपने जीवन में न्याय और शांति के कार्य करते हुए।
संकरे रास्ते पर चलने का अर्थ
पोप ने संकरे रास्ते पर चलने का अर्थ समझाते हुए कहा, “कभी-कभी, इसका मतलब होता है कठिन और अलोकप्रिय चुनाव करना, अपने स्वार्थ के विरुद्ध संघर्ष करना और दूसरों के लिए खुद को समर्पित करना, जहाँ बुराई का तर्क प्रबल होता प्रतीत होता है, वहाँ अच्छाई में डटे रहना, इत्यादि। लेकिन, इस दहलीज को पार करने पर, हम पाएँगे कि जीवन हमारे सामने एक नए रूप में खुलता है, और अब से, हम ईश्वर के विशाल हृदय में और उस अनंत भोज के आनंद में प्रवेश करेंगे जो उन्होंने हमारे लिए तैयार किया है।
माता मरियम से प्रार्थना करने का आह्वान करते हुए पोप ने कहा, आइये, हम कुँवारी मरियम का आह्वान करें, ताकि वे हमें सुसमाचार के “संकीर्ण द्वार” से साहसपूर्वक गुजरने में मदद करें, जिससे कि हम आनन्दपूर्वक पिता ईश्वर के प्रेम की व्यापकता के लिए स्वयं को खोल सकें।