‘एक आशा जो कभी निराश नहीं करती’

यूक्रेनी ग्रीक काथलिक कलीसिया के युवा आयोग के प्रमुख हजारों युवाओं के साथ रोम में हैं जो अपनी जयंती मनाने आये हैं। उन्होंने युद्ध क्षेत्रों के यूक्रेनी युवाओं की गवाही की शक्ति के बारे में बात की।

जयन्ती वर्ष में रोम में आयोजित समारोहों में भाग लेने के लिए हजारों युवा रोम में एकत्रित हैं, यूक्रेनी ग्रीक काथलिक कलीसिया के यूक्रेनी युवा आयोग के अध्यक्ष धर्माध्यक्ष ब्रायन बेदा ने युवा यूक्रेनी तीर्थयात्रियों द्वारा दिए गए विश्वास के प्रभावशाली साक्ष्य पर चिंतन किया, जो युद्ध से उत्पन्न अनेक कठिनाइयों के बावजूद, पोप के साथ अपनी जुबली मनाने आए हैं।

आशा की जयंती के महत्व पर विचार करते हुए, धर्माध्यक्ष बेदा ने इसे युवाओं के लिए मसीह से साक्षात्कार करने और एक गहन आह्वान की खोज करने का एक "स्वर्णिम अवसर" बताया। उन्होंने युवा तीर्थयात्रियों का स्वागत करते हुए पोप लियो 14वें के शब्दों को दोहराते हुए कहा, "आशा निराश नहीं करती।"

उपस्थिति और साक्ष्य की एक प्रेरिताई
धर्माध्यक्ष बेदा ने 2002 से अब तक नौ विश्व युवा दिवसों में भाग लिया है, लेकिन उन्होंने कहा कि इस वर्ष का यह आयोजन विशेष महत्व रखता है। प्राधिधर्माध्यक्ष स्वियातोस्लाव द्वारा नियुक्त आयोग के प्रमुख के रूप में, धर्माध्यक्ष ने युवाओं के 30 से अधिक दलों के आगमन के समन्वय में मदद की है, जिनमें से कई यूक्रेन के युद्धग्रस्त क्षेत्रों से आए हैं।

उन्होंने कहा, "ये युवा तीर्थयात्री सिर्फ़ रोम देखने नहीं आये हैं। वे भारी कष्टों के बीच भी दुनिया को अपने विश्वास और आशा की गहराई दिखा रहे हैं।" इस प्रयास में "आशा के टिकट" जैसी पहल शामिल है, जिसके तहत यूक्रेनी युद्ध के अग्रिम मोर्चे से 100 तीर्थयात्रियों को रोम लाने के लिए 7,75,000 कनाडाई डॉलर से ज़्यादा की राशि जुटाई गई।

हर मुस्कान के पीछे एक बलिदान छिपा है
धर्माध्यक्ष बेयडा ने एक गंभीर चेतावनी दी कि मीडिया में अक्सर साझा की जानेवाली खुशी भरी तस्वीरों के पीछे, कई युवा यूक्रेनी ऐसे बोझ ढो रहे हैं जो आँखों से दिखाई नहीं देती। उन्होंने कहा, "कुछ लोग अपने दादा-दादी को पीछे छोड़ जाते हैं जिनकी देखभाल करनेवाला कोई नहीं होता। उन्हें नहीं पता कि उनके जाने के बाद घर पर क्या होगा। लोग उन्हें देखकर सोच सकते हैं कि सब कुछ ठीक है क्योंकि वे यहाँ तक पहुँच गए हैं, लेकिन वे अपने बलिदानों को नहीं दिखाते।"

येसु ख्रीस्त की शांति
धर्माध्यक्ष बेदा के संदेश के केंद्र में येसु ख्रीस्त की शांति की अवधारणा थी। सुसमाचारों और व्यक्तिगत चिंतन से प्रेरणा लेते हुए, उन्होंने ऐसी शांति की बात की जो सबसे कष्टदायक परिस्थितियों में भी मौजूद रह सकती है। उन्होंने कहा, "येसु के सबसे शांतिपूर्ण पल क्रूस पर थे। उन्हें पता था कि वे परमपिता की इच्छा पूरी कर रहे हैं। और वहीं सच्ची शांति मिलती है।"

धर्माध्यक्ष बेदा ने पिछले वर्ष यूक्रेन का चार बार दौरा किया, जिसमें अग्रिम मोर्चे के आसपास के क्षेत्र भी शामिल थे। उन्होंने बताया कि उनकी धर्माध्यक्षीय यात्राएँ, जिनमें अक्सर कनाडा में यूक्रेनी समुदायों के पुरोहित भी शामिल होते थे, संबंधों को मजबूत करने और जमीनी हकीकत को समझने के उद्देश्य से होती थीं: "हमने पुनर्वास केंद्र, सामूहिक कब्रें और अकथनीय पीड़ा के स्थान देखे, लेकिन हमने यह भी देखा कि दया और दान कैसे जीवित हैं।"

आत्मपरख और आशा का आह्वान
युवाओं के लिए अपने संदेश के बारे में पूछे जाने पर, धर्माध्यक्ष बेदा ने स्वीकार किया कि प्रत्येक व्यक्ति की आध्यात्मिक यात्रा उम्र, अनुभव और संदर्भ से प्रभावित होती है। लेकिन उन्होंने कहा कि एक सिद्धांत सार्वभौमिक है: "परमपिता की इच्छा की खोज करना। आज आपके लिए इसका क्या अर्थ है? आपको बलिदान देने, प्रार्थना करने और अपनी इच्छा को उनकी इच्छा के साथ जोड़ने के लिए कैसे बुलाया जा रहा है?"

उन्होंने कहा, "दुश्मन यूक्रेन के बिजलीघरों को मिसाइलों से नष्ट कर सकता है, लेकिन पवित्र आत्मा को नष्ट नहीं किया जा सकता। प्रार्थना, जो आत्मा का सौर पैनल है, पवित्र आत्मा से शक्ति प्राप्त करती है। यह एक ऐसी आशा है जो कभी निराश नहीं करती।"