म्यांमार में कलीसया के समर्थन के लिए पोप को धन्यवाद

म्यांमार में काथलिक नेताओं ने शांति के लिए पोप लियो 14वें की नई अपील का स्वागत किया है, क्योंकि हिंसा और विस्थापन संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में समुदायों को तबाह कर रहे हैं, विशेष रूप से उत्तर-मध्य सागाइंग क्षेत्र में।
वाटिकन की फिदेस न्यूज़ एजेंसी को दिए गए एक साक्षात्कार में, मांडले महाधर्मप्रांत के विकर जनरल फादर पीटर सीन ह्लाइंग ऊ ने कहा, "पूरे म्यांमार में ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ लड़ाई हो रहे हैं, जहाँ लोग विस्थापित हो रहे हैं, जहाँ नागरिक संघर्ष से भागते समय बहुत कठिनाई झेल रहे हैं।"
फादर ने कहा, "हमारे मांडले महाधर्मप्रांत में, विशेष रूप से, सागाइंग क्षेत्र संघर्षों, बमबारी और नागरिकों की अत्यधिक पीड़ा से सबसे अधिक प्रभावित है।"
रविवार, 15 जून को देवदूत प्रार्थना के दौरान, पोप लियो 14वें ने म्यांमार में चल रही हिंसा को याद किया, जिसकी कलीसिया के अधिकारियों ने प्रशंसा की, जिन्होंने कहा कि उनके संदेश ने संकट के कारण तेजी से अलग-थलग महसूस कर रहे समुदायों को प्रोत्साहन प्रदान किया है।
फादर पीटर ने कहा, "हम उनके शब्दों और नागरिकों की पीड़ा पर उनके ध्यान के लिए उन्हें धन्यवाद देते हैं।"
उन्होंने सागांइग में तबाही के दृश्यों पर चर्चा की जहाँ गाँव छोड़ दिये गये हैं अथवा लगातार बमबारी के कारण मलबे के ढेर बन चुके हैं।
खतरों के बावजूद, पुरोहित, धर्मबहनें और प्रचारक प्रभावित क्षेत्रों में सहायता एवं आध्यात्मिक सहायता प्रदान कर रहे हैं।
फादर पीटर ने कहा, "पुरोहित, खासकर बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों के लिए साहसपूर्वक काम कर रहे हैं, जिन्हें अक्सर खुद का भरण-पोषण करने के लिए बुनियादी ज़रूरतों से भी वंचित रहना पड़ता है।"
उन्होंने कहा कि धर्मसंघी और धर्म प्रचारकों के साथ मिलकर वे उन क्षेत्रों में सामाजिक सेवाएँ प्रदान कर रहे हैं जो बहुत खतरनाक हैं क्योंकि वे गोलीबारी से प्रभावित हैं।" उन्होंने कहा कि महाधर्मप्रांत हाल ही में आए भूकंप के बाद की स्थिति से भी जूझ रहा है, जिससे संकट और बढ़ गया है।
उन्होंने कहा, "हम हर दिन प्रार्थना कर रहे हैं, अपने लोगों, शांति और राष्ट्र के भविष्य के लिए सामूहिक प्रार्थना और जागरण करते हैं।" "हम इस भयानक स्थिति में भी ईश्वर पर भरोसा करना जारी रखते हैं।" यांगून में आम काथलिक और विश्वविद्यालय के व्याख्याता जोसेफ़ कुंग ने बिगड़ती मानवीय स्थिति पर चिंता जताई और संकट पर वाटिकन के ध्यान का स्वागत किया।
श्री कुंग ने कहा कि संघर्ष के कारण काचिन, चिन और राखैइन राज्यों में नागरिक विस्थापित हो रहे हैं, बामाव और मायितकीना के धर्मप्रांतों से प्राप्त रिपोर्टों से पता चलता है कि बड़े पैमाने पर गांवों का विनाश हुआ है और लोगों को जबरन निकाला जा रहा है।
उन्होंने कहा कि पोप लियो की सार्वजनिक अपील कई लोगों के लिए आशा का स्रोत रही है, जो चार साल के गृहयुद्ध के बाद परित्यक्त महसूस कर रहे समुदायों को एकजुटता की भावना प्रदान करती है।
थकावट और पीड़ा के बावजूद, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि विश्वासी प्रार्थना में दृढ़ रहें और अपनी कठिनाइयों को ईश्वर और कुँवारी मरियम को सौंप दें।